स्वदेशी जागरण मंच और स्वावलंबी भारत अभियान की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला और विचार वर्ग की शुरुवात की गई। स्वालंबी भारत अभियान को शताब्दी वर्ष का रूप देने व लोगों में स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूकता लाने के निमित शहर से लेकर गांव व कस्बों तक संगठनात्मक ढांचा स्थापित करने की कार्ययोजना को लक्ष्य बना विचार वर्ग और कार्यशाला की गई। इस दौरान स्वालंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह संगठक सतीश कुमार ने जैविक उद्यमिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि देश के 37 करोड़ युवाओं को स्टार्ट अप के लिए प्रशिक्षित करने विभिन्न विद्याओं को समहित किया गया है। ताकि देश का युवा आत्मनिर्भता की दिशा में प्रेरित हो सके। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र को शक्तिशाली बनने के लिए स्वदेशी - उत्पादों के प्रति आग्रह का भाव होना आवश्यक है। आज के वैश्विक युग में युद्ध सैन्य मैदानों के साथ ही साथ आर्थिक मोर्चे पर भी लड़े जा रहे हैं। इसलिए आवश्यक है कि देश का युवा रोजगार और उद्यमिता के लिहाज से भलीभांति प्रशिक्षित हो, जिससे विश्व पटल पर हम बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुकाबला कर सके। क्षेत्रीय संयोजक सुधीर दाते ने बताया कि आने वाले समय में स्वावलंबी भारत शताब्दी वर्ष मनाने की योजना है। इसमें स्वदेशी उत्पादों के प्रति गांव-गांव में जागरूकता पैदा करना व स्वरोजगार के लिए योजना बनानी है।
इनकी रही मौजूदगी:
इस अवसर पर केशव डूबेलिया, क्षेत्रीय शंकर त्रिपाठी, प्रांत पूर्ण कालीक अमर परवानी और वासुदेव पटेल का मार्गदर्शन मिला। इस अवसर पर महापौर पूजा विधानी, छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा अभिकरण के अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी, डाक्टर ललित मखीजा, वासुदेव पटेल, डा. सुशील श्रीवास्तव, प्रवीण झा, अरुणा दीक्षित, नीति श्रीवास्तव, सुब्रत चाकी, नारायणपुरी गोस्वामी, दिग्विजय, दिनेश लसकर, उचित सूद, मंजरी बक्शी, मुक्तिबोध अग्रवाल, भृगु अवस्थी, देवेंद्र कौशिक, मंजरी बक्शी आद उपस्थित रहे।
देश के जन मन में है स्वावलंबन का भावः साव
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि मई 1998 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वार किया गया परमाणु विस्फोट देश को स्वालंबी भारत बनाने का विस्फोट था। स्वालंबन का भाव देश के जन मन में है। आज अनुसूचित जाति जनजाति और थर्ड जेंडर को लेकर औद्योगिक नीति बनाई जा रही है, जिससे स्वालंबन और आत्मनिर्भरता की श्रृंखला में कोई भी कड़ी छुटने ना पाए। जब भारत का युवा सहकारिता के भाव से कार्य करने को तत्पर हो जाएगा। उस दिन इस देश को विकसित राष्ट्र बनने से रोक नहीं जा सकता।
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