मुख्य बिंदु:
प्रशिक्षण और मार्गदर्शन:केंद्र से कुल 655 युवक-युवतियों और महिलाओं को विभिन्न योजनाओं और स्वरोजगार विकल्पों के लिए मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
कौशल विकास कार्यक्रम:कुल 220 से अधिक प्रतिभागियों ने साबुन, शैम्पू, हेयर ऑयल निर्माण, खिलौना निर्माण, हस्तशिल्प कला, व उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
स्थानीय रोजगार:प्रशिक्षण के उपरांत 85 से अधिक प्रतिभागी हस्तशिल्प, पारंपरिक उत्पाद निर्माण और अन्य स्थानीय कार्यों में सक्रिय रूप से रोजगार में लगे।
स्वरोजगार की शुरुआत: 8 प्रतिभागियों ने स्वयं के लघु उद्योग प्रारंभ किए, जिनमें खाद्य निर्माण (जैसे घी, अचार, सूखी सब्जियाँ), घरेलू उपयोगी वस्तुएं और सौंदर्य उत्पाद शामिल हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से विस्तार:क्षेत्रीय उत्पादों के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु एक डिजिटल प्रणाली विकसित की गई, जिससे उपभोक्ताओं तक उत्पादों की पहुंच बढ़ी।
पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा: केंद्र द्वारा तैयार किए गए पेड़ा (माताबाड़ी पेड़ा), बाँस आधारित हस्तशिल्प, पारंपरिक ‘रिसा’ वस्त्र, तथा क्वीन किस्म का अनानास जैसे उत्पादों को स्थानीय स्तर पर लोकप्रियता मिली।
प्रदर्शनी एवं जागरूकता कार्यक्रम: समय-समय पर स्वदेशी उत्पादों के प्रदर्शन, उद्यमिता सत्रों और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया गया।
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