नई दिल्ली। भारत के तकनीकी विकास की कहानी में एक महत्वपूर्ण अध्याय लिखते हुए, Coforge ने शिक्षा से लेकर डिजिटल नवाचार तक एक प्रेरणादायक उड़ान भरी है। इसकी नींव 1981 में राजेन्द्र सिंह पवार और विजय के. थडानी ने NIIT की स्थापना के साथ रखी थी। उद्देश्य था—भारत के युवाओं को कंप्यूटर शिक्षा देकर तकनीकी रूप से सशक्त बनाना।
वर्ष 1992 में NIIT Technologies की स्थापना हुई, जिसने आगे चलकर Coforge के रूप में अपनी वैश्विक पहचान बनाई। Coforge आज एक ऐसी कंपनी बन चुकी है जो न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपने नवाचारों के लिए जानी जाती है। Coforge का वार्षिक राजस्व आज एक बिलियन डॉलर से अधिक है, जो इसके मजबूत व्यावसायिक आधार और वैश्विक उपस्थिति को दर्शाता है। यह कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इसके अलावा, Coforge भारत सरकार के विभिन्न डिजिटल मिशनों में भी एक सक्रिय और विश्वसनीय तकनीकी भागीदार के रूप में काम कर रही है।
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