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भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वदेशी सोच का विस्तार; AIIMS, IITs और IIMs की संख्या बढ़ने से अकादमिक क्षमता मजबूत

भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं, जहाँ स्वदेशी सोच, स्थानीय क्षमताओं का विकास, और वैज्ञानिक प्रगति एक साथ मिलकर नई दिशा दे रहे हैं। सरकार द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों के विस्तार पर दिया जा रहा ध्यान देश को ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ा रहा है। पिछले वर्षों में केंद्र सरकार ने देश में AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान), IITs (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) और IIMs (भारतीय प्रबंधन संस्थान) की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि की है। इस विस्तार का उद्देश्य यह है कि गुणवत्ता-पूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ केवल महानगरों तक सीमित न रहें, बल्कि देश के हर क्षेत्र तक पहुँचें।

स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास:

नए AIIMS की स्थापना से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हो रही हैं। अत्याधुनिक उपकरण, प्रशिक्षित डॉक्टर, डिजिटल हेल्थ सर्विसेज और टेली-मेडिसिन ने मरीजों की पहुँच को आसान बनाया है। यह कदम भारत को स्वास्थ्य-आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कर रहा है।

शिक्षा क्षेत्र में मजबूती:

नए IITs और IIMs की स्थापना का उद्देश्य भारत में उच्च स्तरीय तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा को व्यापक बनाना है। इससे देश के छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा अपने घर के करीब मिल रही है।साथ ही, अनुसंधान (R&D), नवाचार, स्टार्टअप और STEM शिक्षा में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तेज़ विस्तार के कारण भारत निकट भविष्य में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनिया का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।

स्वदेशी दृष्टिकोण + आधुनिक संस्थान = भारत की मजबूत अकादमिक और स्वास्थ्य संरचना — यही इस विकास का सार है।

Hemendra
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